Citizenship Amendment Act (CAA) के अंतर्गत मुस्लिम समुदाय को छोड़कर तीन मुस्लिम पड़ोसी मुल्कों से आने वाले बाकी धर्मों के लोगों को नागरिकता देने का प्रावधान है। केंद्र सरकार ने सीएए के लिए एक वेब पोर्टल तैयार किया है। आने वाले शरणार्थियों को इस पोर्टल पर अपना रजिस्ट्रेशन कराना होगा और सरकारी जांच पड़ताल के बाद उन्हें कानून के तहत नागरिकता दी जाएगी।
केंद्र सरकार ने नागरिकता संशोधन कानून का नोटिफिकेशन जारी कर दिया है। अब तीन पड़ोसी देशों के अल्पसंख्यकों को भारत की नागरिकता मिल सकेगी। इसके लिए उन्हें केंद्र सरकार द्वारा तैयार किए गए ऑनलाइन पोर्टल पर आवेदन करना होगा। भारत सरकार द्वारा अधिसूचना जारी किए जाने के बाद दिल्ली, उत्तर समेत कई राज्यों में सुरक्षा बढ़ा दी गई है।
आपको बता दें, 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी ने सीएए को अपने घोषणा पत्र में शामिल किया था। इसे भारतीय जनता पार्टी ने बड़ा मुद्दा बनाया था।
Citizenship Amendment Act के तहत मुस्लिम समुदाय को छोड़कर बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से आए विस्थापित अल्पसंख्यकों को कोई दस्तावेज देने की जरूरत नहीं होगी और उन्हें कानूनी जांच पड़ताल के बाद नागरिकता दे दी जाएगी।
केंद्र सरकार ने 2019 में किया था कानून में संशोधन
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली केंद्र सरकार ने साल 2019 में नागरिकता कानून में संशोधन किया था। इसमें अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश से 31 दिसंबर 2014 से पहले आने वाले छह अल्पसंख्यकों (हिंदू, ईसाई, सिख, जैन, बौद्ध और पारसी) को भारत की नागरिकता देने का प्रावधान किया गया था। CAA के नियमों के मुताबिक, नागरिकता देने का अधिकार केंद्र सरकार के हाथों में होगा।
किन लोगों को मिलेगी नागरिकता?
नागरिकता देने का अधिकार पूरी तरह से केंद्र सरकार के पास है। पड़ोसी देश अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के हिंदू, सिख, जैन, पारसी, बौद्ध और ईसाई समुदायों से आने वाले प्रवासियों को भारतीय नागरिकता देने के लिए 1955 के नागरिकता अधिनियम में संशोधन किया गया है।
ऐसे प्रवासी नागरिक, जो अपने देशों में धार्मिक उत्पीड़न से तंग आकर 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत में आकर शरण ले चुके हैं। इस कानून के तहत उन लोगों को अवैध प्रवासी माना गया है, जो भारत में वैध यात्रा दस्तावेज (पासपोर्ट और वीजा) के बगैर घुस आए हैं या फिर वैध दस्तावेज के साथ तो भारत में आए हैं, लेकिन तय अवधि से ज्यादा समय तक यहां रुक गए हैं।
भारतीय नागरिकता के लिए क्या करना होगा?
सरकार ने पूरी प्रक्रिया को ऑनलाइन किया है और ऑनलाइन पोर्टल भी तैयार किया गया है। आवेदक अपने मोबाइल फोन से भी आवदेन कर सकता है। आवेदकों को वह साल बताना होगा, जब उन्होंने दस्तावेजों के बिना भारत में प्रवेश किया था। आवेदकों से कोई दस्तावेज नहीं मांगा जाएगा।
नागरिकता से जुड़े जितने भी ऐसे मामले शेष हैं वे सब ऑनलाइन किए जाएंगे। पात्र शरणार्थियों को सिर्फ पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन करना होगा। उसके बाद गृह मंत्रालय जांच करेगा और नागरिकता जारी कर देगा।